आत्मनिर्भरता प्रगति का स्तंभ है।
आत्मनिर्भरता क्या है और इसका क्या प्रभाव समाज और राष्ट्र पर होता है।
आत्मनिर्भरता से ही आत्मसंतुष्टि मिलती है और आत्मसंतुष्टि से ही निर्भयता आती है और निर्भयता ही व्यक्ति को आगे बढ़ने मे मददगार साबित होता है। एक व्यक्ति अगर आत्मनिर्भर है तो उसका परिवार खुशहाल रहता है। अगर पुरा ही परिवार आत्मनिर्भर हो जाय तो वह परिवार दुसरों के लिए मार्गदर्शक होता है उसका प्रभाव समाज पर पड़ता है समाज खुश होता है। अगर पुरा समाज आत्मनिर्भर बन जाय तो वह अपने देश और राष्ट्र को आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करता है। और यह स्वभाविक भी है।
खुद को कर इतना बुलंद की हर बाधा को दुर कर सको।
हर परिस्थितियों मे अपने आप को मजबूत इरादों के साथ टीक सको।
कुछ भी असंभव नही होता अगर ये बातें अपने मन मे विठा सको।
आत्मनिर्भरता बहुत ही जरुरी है आज के दौर मे अगर इसे अपना साथी बना सको।
किसी भी व्यक्ति की उन्नति तभी संभव होता है जब वह आत्मनिर्भर होता है। तभी वह अपने आप को सुखी एवं स्वतंत्र महसूस कर सकता है। तभी वह राष्ट्र को सहयोग कर सकता है और राष्ट्र की उन्नति मे अपना योगदान दे सकता है। और एक राष्ट्र का जिम्मेदार नागरिक बन सकता है।
आत्मनिर्भरता का मतलब,
आत्मनिर्भरता का अर्थ है अपने आप पर निर्भर होना किसी दुसरों पर आश्रित नही होना। अपनी क्षमता का अपने ज्ञान का अपने विचार का अपने ही उन्नति के लिए स्वतंत्र रुप से उपयोग करना, जिससे पुरा का पुरा लाभ आप खुद ले सके, और अपना विकास तेजी से कर सकें। आपका विकास ही राष्ट्र का विकास है।
कोई भी राष्ट्र तभी आत्मनिर्भर होता है जब उस राष्ट्र का नागरिक आत्मनिर्भर होता है।
आत्मनिर्भरता का महत्व,
जो भी व्यक्ति या जो भी राष्ट्र अपने आप को अपनी क्षमता का विकास करते हुए उपार्जन मे उसका उपयोग करे, वह व्यक्ति या वह राष्ट्र निश्चित ही आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर होगा। आयात कम होगी। निर्यात होगा अपना धन अपने पास ही रहेगा और तो और उसमे वृद्धि ही होगी। खर्च से ज्यादा उपार्जन होगा। धन मे वृद्धि होगी। किसी दुसरों पर निर्भर नही रहना पडे़गा। यही आत्मनिर्भरता है। आयात कम होगी तो हमारा विदेशी मुद्रा का भंडार भड़ा रहेगा। हमारा पैसा मजबुत होगा। हम सब सुखी सम्पन्न होंगे। व्यक्तित्व और राष्ट्र दोनो उन्नति करेगा।
आवश्यकता के अनुसार अगर हम सब उत्पादन करेंगे तो, हमारा आत्मनिर्भरता का दायरा बढ़ता चला जायेगा। हमे दुसरों के आगे हाथ नही फैलाना पडे़गा। हमारे पास सरप्लस मनी होगा। जो भी आवश्यकता हमे है और उसका हम स्वदेशी निर्माण करते है तो हम आत्मनिर्भर है।
अगर सपनों को हकीकत में बदलने के लिए कोशिश न की जाए तो सपने बोझ बन जाते हैं।
आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कीजिए, क्योंकि आत्मनिर्भरता सब सुखों से बढ़कर सुख है।
समय-समय पर खुद को Up To Date करते रहिए, वरना 21 वीं सदी में आप जल्दी हीं Out Of Date हो जायेंगे, Out Of Dated व्यक्ति अपना महत्व खोता चला जाता है, और उसके जिंदगी की राह दिन-ब-दिन मुश्किल होती चली जाती है।
समस्याएं तो आती और जाती रहती है, ये प्रकृति का नियम है। पर समस्या मे ही समाधान की बीज छुपी होती है। जिसे हमे पहचानना है, और उसे अंकुरित कर के फल के रुप लाना है और अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करना है।
यही तो आत्मनिर्भरता है।
यही तो आत्मनिर्भरता है।
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