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मंगलवार, 7 जुलाई 2020

भगवान शंकर का अद्भुत रहस्य। bhagwan Shankar ka adhbhut rahasya.

भगवान शंकर का अद्भुत रहस्य।

ॐ नमः शिवाय - ॐ नमः शिवाय

भगवान शिव कहते है कि पार्वती! राम एक ऐसा प्रभु का नाम है जो सबमे रमण करता है-- राम रामेती रामेती रमे रामे मनोरमे। सहस्रनाम ततुल्यं राम नाम बरानने !! जो नाम सब प्राणियों के अंदर रमण करता है, उसे बढ़कर कोई नाम नही है।
भगवान शंकर का अदभुत रहस्य, कंकाल माला
भगवान शंकर 

एक बार नारद जी पार्वती जी से पुछते है कि पार्वती जी ! कभी आपने पुछा भगवान शंकर से कि वे अपने गले मे सारे नरमुण्डों की माला क्यों पहनते हैं ? पार्वती ने कहा कि मैने तो कभी नही पुछा और यह बड़ा विचित्र भी लगता है। कोई फुलों की माला गले मे पहनता है, कोई सोने की माला गले मे पहनता है, कोई रत्नों की माला पहनता है तो बात समझ मे आती है, अब कोई खोपड़ियों की माला  पहने तो बड़ा विचित्र लगता है। पार्वती से रहा नही गया।

भगवान शंकर का कंकाल-माला !


पार्वती जी भगवान शंकर के पास पहुँची। जब जब उचित समय था तब पार्वती जी ने बड़े करबद्द होकर प्रार्थना की , प्रभु ! मैं आपसे प्रश्न करने के लिए अनुमति चाहती हुँ। अनुमति लेने के बाद उन्होने कहा कि प्रभु ! मै आपसे यह जानना चाहती हुँ कि आपके गले मे जो कंकाल की माला है, आखिर ये कंकाल क्या है ?  भगवान शंकर मुस्कुराने लगे। भगवान  कहने लगे कि पार्वती ! तुम ज्यादा विस्मित मत होना कि भगवान ने किस-किस की हड्डियां बटोरी है। मेरे गले मे यह जितने भी कंकाल है, ये तुम्हारे ही कंकाल है अर्थात ये सब तुम्हारे ही अलग-अलग जन्मों  के कंकाल है जिस- जिस जन्म मे तुम पैदा होकर तुम्हारा- मेरा बार-बार बिछोह हुआ, उस-उस जन्मो के ये कंकाल है।

तुम्हारी एक-एक जन्म की खोपड़ी मैने इस माला मे पिरोकर रखी हुई है। इसे तुम देख सकती हो कि तुम्हारे कितने जन्म हुए है। तब पार्वती को पता लगा कि मेरे कितने जन्म हो गये। तब भगवान शंकर पार्वती को अमर कथा, ज्ञान के बारे मे  उल्लेख करते है। जितने भी रहस्य की बातें है, वे रामचरितमानस मे वर्णित है। भगवान शिव के मुख से उनका बखान हुआ। जो अमर कथा के रुप मे आती है।

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने।


मानस मे उसी नाम के बारे मे उल्लेख किया गया कि ' सुमरि पवन सुत पावन नामु। अपने वश करि राखेउ रामु ।। जब हनुमान जी ने उस पावन नाम का सुमिरण किया तो प्रभु राम को भी  उन्होने अपने वश मे कर लिया। ऐसे शक्‍तिशली राम का क्रियात्मक ज्ञान भगवान शंकर ने पार्वती को कराया।




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