शब्द बराबर धन नही
ऐसी वाणी बोलिए ,मन का आपा खोय | औरन को शीतल करे, आपहु शीतल होय |
शब्द शब्द सब कोई कहे, शब्दों का करो विचार। एक शब्द शीतल करे, एक शब्द दे जार।
शब्द शब्द सब कोई कहे, शब्दों का करो विचार। एक शब्द शीतल करे, एक शब्द दे जार।
बोलना एक कला है। इसी के द्वारा हम अपने विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। किसी को अपनी बात बताने समझाने के लिए हम अनेक शब्दों का प्रयोग करते है। शब्द मे बड़ी ताकत है किसी से दुर भी करता है और किसी को पास भी लाता है। ये किसी के मन को शितलता प्रदान कर सकता है। और किसी के मन मे आग भी भर सकता है।
मिठा बोलो मिठा रहो
शब्द बराबर धन नही, जो कोई जाने बोल। हीरा तो दामों मिले, शब्दहिं मोल न तोल।
यदि कोई अच्छा मिठा बोलना जानता है तो शब्द के बराबर कोई धन नही। हीरा तो रुपयों मे बिकता है, परंतु उत्तम शब्दों का मोल भाव नही किया जा सकता। अर्थात शब्द हीरों से भी श्रेष्ठ है, वे अमूल्य है।
संसार का नियम है कि जो आया है उसे एक न एक दिन जाना है। मनुष्य इस संसार मे जन्म लेता है, फिर अपना कर्म करता है और अपनी आयु पुर्ण होने पर अपना देह त्याग देता है। उसके जन्म और मृत्यु के बीच का समय ऐसा होता है, जिसमें वह चाहे तो अपनी मीठी वाणी से सांप जैसे भयंकर मनुष्य के अहंकार रूपी बिष को भी उतार सकता है। किसी दुश्मन को भी अपना बना सकता है। मनुष्य के मीठे बोल उसे इस संसार मे अमर बना सकता है। अर्थात उसके मरने के बाद भी लोग उसे याद करते हैं । तभी तो ठीक ही कहा गया है कि, बोलने से पहले शब्दों को तोलना चाहिए, शब्द गिने नही तौले जाना चाहिए।
हमे मानव जीवन बड़ी मुश्किल से मिला है। इसे लोगों की निंदा या बुराइयां करके या किसी को बुड़ा -भला कहकर व्यर्थ नही गंवाना चाहिए। अगर हमारे प्यार से बोलने पर किसी के चेहरे पर हंसी आती है तो इससे बड़ा पुण्य कोई नही। मीठा बोलना किसी तीर्थ से कम नही। परंतु आज मनुष्य सिर्फ 'मै' मे जी रहा है। उस पर अहंकार का कब्जा है। वह हर किसी से आगे निकलना चाहता है।इसके लिए वह दुसरों से तो क्या, अपने को भी कटु वचन बोलने से पीछे नही हटता। शब्द या वाणी सीधा ह्रदय को प्रभावित करते हैं। अन्य घावों को तो भरना फिर भी आसान है, परंतु कटु शब्दों से दिल पर हुए आघात को ठीक करना बहुत कठिन है।
शब्द हीरों से भी श्रेष्ठ है
एक शब्द 'ओ३म' शब्द है जिसमे स्वयं ईश्वर का वास है, तो दुसरी तरफ द्रौपदी के शब्द ' अंधे का पुत्र अंधा' जिसने दुर्योधन के ह्रदय पर गहरा आघात किया और महाभारत के भीषण युद्ध का एक कारण बना। यह हमे तय करना है कि हमे किन शब्दों का चयन करना है- वे जो इश्वर तक को हमारे करीब ला दे या उन शब्दों को, जो हमारे अपनो को भी हमसे दुर कर दे|
शब्द हीरों से भी श्रेष्ट है |
वाणी मनुष्य के संपुर्ण व्यक्तित्व का पुर्जा- पुर्जा खोलकर रख देती है। किसी का चरित्र विश्लेषण करना हो तो उसकी बातों से पुरी रुप रेखा सामने आ जाती है।
बोलत ही पहचानिए साधु चोर को घाट।
अंतर की करनी सबै निकसे मुख की बाट।
रहिमन जिह्वा बावरी कहि गई सरग पताल।
आपु तो कही भीतर रही जुती खात कपाल।
जीभ खुद तो बिना हड्डी की है पर दुसरे की हड्डी तोड़ने मे माहिर है। हम सबको जीभ से सावधान रहना चाहिए, क्योंकि यह गीली जगह मे रहती है इसिलिए बेवजह फिसल जाने की गुंंजाईश हमेशा बनी रहती है। केवल तीन इंच लंबी जीभ छह फुट उँचे आदमी का कत्ल कर सकती है।
केवल तीन इंच लंबी जीभ छह फुट उँचे आदमी का कत्ल कर सकती है। अनाप- शनाप बोलकर खुद तो दांतो के किले मे छिप जाती है, पर सहना पड़ता है बेचारे कपाल को।
इस जिंदगी की सार्थकता तो तब है, जब आप संसार के रंगमंच से वापस जाय तो लोग आह कर उठें।
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