परिवर्तन मे ही प्रगति है।
- संसार का वर्तमान स्वरूप परिवर्तन स्वीकारने का ही परिणाम है। वरना हम आज उसी आदम युग मे जी रहे होते, जहाँ मनुष्य जंगलों मे प्राकृतिक अवस्था मे रहता था।
- क्या हीरे की कीमत उसके स्वरूप परिवर्तन की वजह से नही है ? हीरे का प्राकृतिक स्वरूप क्या है ? एक सामन्य दिखने वाला पत्थर ही तो है। हीरा तो हीरा है, उसमे परिवर्तन की क्या जरुरत है ? ऎसा सोचा जाए और यदि कुशल हाथों द्वारा उसका रुप परिवर्तन किया जाए तो उसका कीमत बहुत बढ़ जाती है। ये है परिवर्तन का महत्व।
- परिवर्तन जीवन का अनिवार्य नियम है, जीवन का अंग है, जीवन के लिए आवश्यक है। यदि हम परिवर्तन को नही अपनाएंगे तो जमाना भी हमे नही अपनाएगा |
- टेलीफ़ोन मे, कम्प्यूटर मे आई क्रांति परिवर्तन स्वीकारने का ही तो परिणाम है। जिन्होने परिवर्तन को पहले स्वीकार किया, वही आगे है। जो परिवर्तन को जितना जल्दी स्वीकार करेगा, वही उस क्षेत्र का लीडर कहलाएगा। परिवर्तन के बिना न तो प्रगति संभव है और न ही उन्नति ।
- यदि हम कुछ बदल सकते है तो सबसे पहले अपने आप को बदले। अन्यथा दौड़ मे हम ही आखिरी होंगे।यदि हम अपनी मानसिकता मे परिवर्तन कर पाएं तो फिर कोई सागर गहरा नही, कोई पर्वत उँचा नही, कोई मुश्किल... मुश्किल नही... कोई चुनौती चुनौती नही।परिवर्तन को मन से स्वीकारें।
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