मानव जीवन सम नही कोई.
ईश्वर को इश्वर, परमात्मा बनाने वाला भी मनुष्य है, निराकार को साकार मनुष्य ने बनाया, विविध प्रमाणों से उसके अस्तित्व को सिद्ध किया। परमात्मा की कीर्ति पताका मानव ही है।
manav jivan sam nahi koi |
तुलसीदास कहते है--
अमित सराहिय अमरता, गरल सराहिय नीचु।
युवती अलंकृत वेश मे सुन्दर लगती है, शीशु नंगे रुप मे प्यारा लगता है। सिंह की प्रचण्ड शक्ति उसकी सुन्दरता है, हाथी की सुन्दरता उसकी विशालता है। मृग की चितवन व लम्बी छलांग उसकी सुन्दरता है। कुत्ते का स्वामिभक्ती उसे सुन्दर बनाती है। पक्षी प्रात: संध्या क्रमशः स्वागत एवं विदाई गीत सुनाते है, नाचते मयुर को देखकर भला कौन नही मुग्ध होगा। चकोर केवल चन्द्रमा को देखकर जीता है, चातक स्वाती नक्षत्र का ही जल बुंद ग्रहन करता है। झींगुर छिपकर झंकार करता है, जाल रचना करने की कला मकड़ी से बेहतर और कोई नही, चिटियों जैसा कोई परिश्रमी नही, अजगर जैसा कोई आलसी नही। पतंग दीपक के प्यार मे अपने आप को ही मिटा देता है। किल्लोल करती नदियां, निर्भय बहते झरने, शांत सरोवर मानो सुन्दरता का अदभुत रुप है।
मानव जीवन सबसे उत्तम
पर इन सारी सुन्दरता, विविधता का चयन मानव ने ही किया, ईश्वर की बनाई सुन्दरता को सुन्दर मानव ने ही तो किया। प्रकृति कहां जानती है, मै कितना सुन्दर हुँ, इस बिखरी सुन्दरता को सहेजने वाला प्राणी, पंच ज्ञानेंद्रियो वाला मनुष्य ही तो है। मनुष्य ने सुन्दरता, मधुरता का पता लगाया। सौन्दर्य बोध की विशेषता केवल मनुष्य मे है, अतः वह ईश्वर की सुन्दरतम रचना है। प्रकृति की सुन्दरता योग है, मनुष्य भोक्ता है। मनुष्य की भावना उसे ऊंचा बनाती है। उसमे वृद्धि, पज्ञा, प्रतिभा और कल्पना शक्ति है। इसके द्वारा ही मनुष्य ने भौतिक और आध्यात्मिक शक्ति का उपार्जन कर अपनी दुर्बलता को दुर किया है, और अपनी आवश्यकता की पूर्ति की है। ईश्वर को ईश्वर परमात्मा बनाने वाला भी मनुष्य है।
निराकार को साकार मनुष्य ने बनाया विविध प्रमाणों से उसके अस्तित्व को सिद्ध किया परमात्मा का कृतिपताका मानव ही है
निराकार को साकार मनुष्य ने बनाया विविध प्रमाणों से उसके अस्तित्व को सिद्ध किया परमात्मा का कृतिपताका मानव ही है
manav jivan sabse uttam |
ईश्वर ने मानव रचना मे अपनी समस्त कला त्याग दी, अतः वह सुन्दरतम है।
ईश्वर की सुन्दरतम रचना है मानव। नर ही नारायण है। हर व्यक्ति अपने आप मे अनमोल है|
इन्सान ईश्वर की ऐसी रचना है, जो सिर्फ अपना ही नही कई पीढ़ियों का उद्धार करती है।
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