विश्व के सभी इतिहासविदों की मान्यता है कि संसार की सबसे प्राचीन पुस्तक ऋग्वेद है। जर्मन विद्वान मैक्समुलर ने भी उद्घोषणा की और सारा संसार भी इस बात को जानता है कि सबसे प्राचिन धर्मग्रन्थ वेद है।
इतने पवित्र और उच्चतम ग्रंथ होने पर भी हम वेदों को पढ़ने व जानने की कोशिश नही करते। ज्ञान-विज्ञान के उस उतुंग शिखर तक पहुंचने का हम प्रयास ही नही करते। परंतु पाश्चात्य मानसिकता से वेदादि सत्य ग्रंथो पर की गई टीका-टिप्पणी ने जरुर वेदों के प्रति हमारी धारणा बदल दी है। लेकिन आवश्यकता है कि जैसे हमारे ऋषि-मुनि वैदिक विद्वानों ने हमारे सम्मुख वेदों का दृष्टिकोण रखा है वैसा ही दृष्टिकोण बनाकर हम वेदों का स्वाध्याय तथा चिंतन-मनन करें।
वैदिक ऋषियों के दृष्टिकोण की सत्यता को जानकर जर्मन विद्वान मैक्समुलर ने स्वीकार किया है कि संसार भर का ज्ञान-विज्ञान अगर किन्हीं किताबों मे सुरक्षित व प्राप्त होता है तो वह केवल वेदों मे ही सुरक्षित व प्राप्त है। अत: हमारी भी वेदों के प्रति थोड़ी सी रुचि जरुर होनी चाहिए । हमे यह जानने व समझने का प्रयास जरुर करना चाहिए कि वेदों मे क्या लिखा है।
विचारणीय बिन्दु तो यह है कि हमारे विद्वान रामायण और भागवत से आगे जाते ही नही पढ़ने की कोशिश ही नही करते। रामायण की चौपाईयां पढ़ लेना आसान है। भगवत आदि ग्रन्थों मे सरलता- सरसता की प्रतीक कथाओं की प्रचुरता है। इसके आगे यदि किसी मे विद्वता होती है तो वह फिर गीता पढ़ता है और गीता का उपदेश करता है। थोड़ी सी हिम्मत करे तो उपनिषद तक पहुँचता है। थोड़ी और हिम्मत बढती है तो दर्शनशास्त्र तक जाता है। उसके बाद तो यात्रा मे बाधा आ जाती है।
यदी हम वेदों का अध्ययन करें तो हमें मालुम होगा कि वेद ज्ञान के अथाह सागर है, जिनमें डुबकी लगाते ही न जाने कितने प्रकार के मणि- माणिक्य, रत्न- मोती हाथ लगते है। अन्य ग्रन्थों का बहुत प्रयत्न से स्वाध्याय करने के बाद थोड़ा ही लाभ होता है।
आइए, वेद अथाह सागर मे डुबकी लगाकर स्वल्प समय मे ही बहुमूल्य मोतियों से अपने इस शरीर को तथा आत्मा को अलंकृत करें, जिससे आपको ज्ञात होगा कि हमारे इन पवित्र ग्रंथों पर थोड़े से श्रम से कितना अधिक लाभ मिलता है। परम कारुणिक भगवान ने तुम्हें वेदों का ज्ञान दिया है, तुम कौन हो ? तुम्हें क्या करना चाहिए, क्या नही करना चाहिए? संसार क्या है ? तुम्हारी राह क्या है ? आदि। इन सब प्रश्नों का समाधान परम कृपालु भगवान ने वेद मंत्रों के माध्यम से दिया है।
वेदों मे जीवन निर्माण के बहुत प्यारे संदेश है। वेद वाटिका के कुछ सुगंधित पुष्प यहाँ प्रस्तुत है। यहाँ प्रवेश करके जो फूल आपको दिखाई दे उन्हें संजोकर अपनी झोली भरते जाइए और सुगंध का भी आनंद लेते जाइए। ये छोटे- छोटे पुष्प है, वे रत्न है जो आपके घर मे कार्यक्षेत्र मे, जहां भी आप जाएंगे, वहां आपको सुगंधित करते रहेंगे ।
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