जीवन की सच्चाई ।
कैसी अदभुत बाते हैं जीवन की
प्यास लगी थी गजब की मगर पानी मे जहर था, पीते तो मर जाते और न पीते तो भी मर जाते बस यही दो मसले जिंदगी भर न हल हुए, न नींद पुरी हुई और न ख्वाब मुकम्मिल हुए। वक्त ने कहा काश थोड़ा और सब्र होता, सब्र ने कहा काश थोरा और वक्त होता। सुबह सुबह उठना पड़ता है कमाने के लिए साहब आराम कमाने के लिए निकलता हुँ आराम छोड़कर, हुनर सरकों पर तमासा करता है और किस्मत महलों मे राज करती है।
शिकायतें तो बहुत है तुमसे ये जिंदगी पर चुप इसलिए हुँ कि जो दिया है तुमने वह भी बहुतों को नसीब नही होता। अजीव सौदागर है ये वक्त भी जवानी का लालच देकर बचपन ले गया, अब अमीरी का लालच देकर जवानी ले जाएगा। लौट आता हुँ रोज घर की तरफ थका हारा लेकिन आजतक समझ मे नही आया कि जीने के लिए काम करता हुँ या काम करने के लिए जीता हुँ।
थक गया हुँ तेरी नौकरी से ये जिंदगी मुनासिब होगा कि मेरा हिसाब कर दे, भरी जेब ने दुनिया की पहचान कराई और खाली जेब ने अपनो की।
जीवन मे मंगल
जब लगे पैसा कमाने तो समझ मे आया शाॅख तो माँ बाप के पैसों से पुरा होते थे, अपने पैसों से तो सिर्फ जरुरते ही पुरी होती है। हँसने कि इच्छा न हो तो भी हँसना पड़ता है, कोई जब पुछे कैसो हो तो मजे मे हुँ कहना पड़ता है। ये जिंदगी का रंग मंच है दोस्तों यहाँ हर एक को नाटक करना पड़ता है, माचिस की जरुरत यहाँ नही पड़ती यहाँ आदमी आदमी से जलता है। दुनिया की बड़े से बड़े साइनटिस्ट यह ढुँढ़ रहे हैं कि मंगल ग्रह पर जीवन है या नही, पर आदमी यह नही ढुँढ़ता कि जीवन मे मंगल है या नही।
यही जीवन की सत्यता है।
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