जीवन उद्देश्यपूर्ण होना चाहिए।
- जीवन एक प्रतिध्वनि है, यहां सबकुछ वापस लौटकर आ जाता है। अच्छा-बुरा, झुठ-सच अत: दुनिया को आप सबसे अच्छा देने का प्रयास करे, और निश्चित ही सबसे अच्छा आपके पास वापस आएगा । अच्छाई और बुराई, दोनो हमारे अन्दर है, जिसका अधिक प्रयोग करेंगे वह उतना ही उभरती और निखरती जाएगी।
- शिवाजी का नारा था - कार्य सिद्दि या मृत्यु । अर्थात काम मे खुद को झोंक दो। गीता का कर्मयोग यही है। जब आप कल के बारे मे विचार नही करते, तो आपकी इच्छाएं सिर्फ कर्म' मे केन्द्रित हो जाती है। ऐसे मे एक साधारण सा दिखने वाला कर्म भी आलौकक हो जाता है। राम और कृष्ण के कर्मों मे इसे खुली आँखों से देखा जा सकता है।
- महान वैज्ञानिक, एडीसन ने कहा है। उद्देश्यपूर्ण कार्य के लिए घड़ी न देखें, जब समय मिले तभी कर लें, जब समय हो कार्य कर लें। जब समय बचे तब कर ले। काम करते हुए भी घड़ी मत देखो, जब तक काम पुरा न हो तब तक लगे रहो।
- समाज मे, देश मे पहचान तो तभी बनेगी जब उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने का ध्येय हो। यदि हम काम नही कर रहे है, अपनी क्षमताओं का उपयोग नही कर रहे है, तो हम उनमे जंग लगाने का काम कर रहें है। कार्य क्षमता तो उपयोग करने पर ही बनी रहेगी वरना क्षीण हो जाएगी।
- कैसे करना है, क्या करना है, क्यों करना है, कब करना है और करने का उद्देश्य क्या है ? काम के प्रति मानसिकता पहले ही तय कर लेनी चाहिए। यह सोचना भी गलत होगा कि हम काम नही करेंग तो समय बचेगा। इसमे समय बचेगा नही व्यर्थ चला जाएगा। हाथी अपने रास्ते पर ही चले, इसके लिए जरुरी है कि उसके सिर पर भाला तना रहे। समय का कार्य है आपको अवसर प्रदान करना । लाभ उठाने का कार्य अपनी मेहनत और योग्यता के बल पर आपको करना है।
जीवन उद्देश्यपूर्ण होना चाहिए।
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