आत्मविश्वास सफलता का आधार है।
- खुद पर हो विश्वास और मन मे हो आस्ता, फिर कितनी भी आजाऎं बाधाऎं मिल ही जाता है रास्ता।
- व्यक्तित्व विकास की प्रथम सीढ़ी ,आत्मविश्वास , बढाने की है। और अंतिम सीढ़ी ,आत्मविश्वास, बनाए रखने की है। मै कार्य को करने मे सक्षम हूँ, कार्य कर सकता हुँ, ऎसा स्वयं पर विश्वास करना होगा। अपने महत्व को समझना होगा, अपनी छिपी हुई क्षमता को पहचानना होगा।
- आत्मविश्वासी व्यक्ति अपनी कमियों को पहचान करता है, उन्हें दुर करता रहता है। लेकिन कभी अपने आपको कमजोर नही समझता, चुनौतियों के हिसाब से काम करने की सोच रखता है।
- आत्मविश्वासी व्यक्ति के पास गहरी भावनात्मक लगन होती है। तो कार्य करने की मानसिक ताकत भी होती है। लोग क्या कहेंगे या क्या कहते है, इसकी वह परवाह नही करता, लोगों का काम है कहना। दीपक के समान जलने पर अंदर अंधेरा नही रह सकता। हर शुल फुल सा लगने लगता है। और व्यक्ति को मंजिल दुर नही पास दिखाई देने लगता है।
- स्वामी विवेकानन्द जी आत्मविश्वासहीन व्यक्ति को नास्तिक माना है। जो स्वयं की पुजा नही करता वह किसी और की पुजा कैसे करेगा। आत्मविश्वास निरंतर बढ़ाकर व्यक्तित्व विकास की यात्रा जारी रखें।
आत्मविश्वास सफलता का आधार है
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