jivan ki sachai. life is learnable. keep learning every moment. Be succeessful,success will come by itself. health is wealth, helthy life. fact of life

ad-6

Breaking


रविवार, 10 अगस्त 2025

कबीर अमृतवाणी

कबीर अमृतवाणी
कबीर अमृतवाणी ,Kabir amrit vani,jivan ki sachai
प्रेम ना खेतो उपजे प्रेम ना हाट बिकाय।
राजा चाहे प्रजा चाहे शीश झुका ले जाय।

बहुत गई थोड़ी रही ब्याकुल मन मत हो।
धिरज सबका मित्र है करी कमाई मत खो।

जो बीत गई सो बीत गई तकदीर का शिकवा कौन करे।
जो तीर कमान से निकल गई उस तीर का पिछा कौन करे।

कोई तन से दुखी कोई मन से दुखी कोई रहे धन से उदास ।
थोड़े थोड़े सभी दुखी सुखी राम के दास।

राम नाम की औषधि खरी नीयत से खाए।
अंग रोग व्यापे नहीं महारोग मिट जाय।

समर में घाव खाता है वही सम्मान पाता है,
छिपा उस वेदना में अमर वरदान होता है।
सृजन में चोट खाता है हथौड़ी और छेनी का,
वही पाषाण मंदिर में कहीं भगवान होता है।

क्या करिए क्या जोड़िए थोड़े जीवन काज।
थोड़े थोड़े सब जात है देह गेह धन राज।

कबीरा यह जग आइके बहुत से किनो मीत।
जिन दिल बांधा एक से ओ सोए निश्चिंत।

कबीरा मन निर्मल भयो जैसे गंगा नीर।
पीछे पीछे हरि फिरे कहत कबीर कबीर।

तन सुखाए पिंजर कियो धरे रैन दिन ध्यान।
तुलसी मिटे ना वासना बिना बिचारे ज्ञान।

लक्ष्य ना ओझल होने पाए कदम मिला कर चल।
सफलता तेरे चरण चूमेगी आज नहीं तो कल।

गोधन गजधन वाजी धन और रतन धन खान।
जब आवे संतोष धन सब धन धुरी समान।

बाधाएं कब बांध सकी है आगे बढ़ने बालों को।
विपदाएं कब रोक सकी है पथ पर चलने वालों को।

कबीरा मांगे मांगना प्रभु दीजे मोई दोई।
संत समागम हरि कथा मो उर निस दिन होई।

राम नाम के करने सब यश दिनों खोई।
मूरख जानी घटी गयो पर दिन दिन दूना होई।

मानव तुझे नहीं याद क्या तू ब्रह्म का ही अंश है,
कुल गोत्र तेरा ब्रह्म है सद ब्रह्म तेरा अंश है।
संसार तेरा घर नहीं दो चार दिन रहना यहां,
कर याद अपने राज्य की स्वराज्य निष्कंटक जहां।

अपने दुख में रोने वालों मुस्कुराना सिख लो,
दूसरों के दुःख दर्द में आंसू बहना सिख लो।
जो खिलने में मजा है आप खाने में नहीं,
जिंदगी में तुम किसी के काम आना सिख लो।

तीरथ नहाए एक फल संत मिले फल चार।
सतगुरु मिले अनंत फल कहत कबीर विचार।

कलयुग सम युग आन नहीं जो नर कर विश्वास।
गई राम गुण ज्ञान विमल भवतर विनहि प्रयास।

ग़म की अंधेरी रात में दिल को ना बेकरार कर।
सुबह जरूर आएगी सुबह का इंतजार कर।

मुस्कुराकर ग़म का जहर जिसको पीना आगया।
ये हकीकत है कि जहां में उसको जीना आगया।

नर नहीं वह जंतु है जिस नर को धर्म का भान नहीं,
व्यर्थ है जीवन उसका जिसमें आत्मतत्व का ज्ञान नहीं।
पैसों के चंद टुकड़ों पर अपने ईमान बेचने वालों,
मुर्दा है वह देश जहां पर धर्मों का सम्मान नहीं।

पढ़ने की हद समझ है समझ की हद है ज्ञान।
ज्ञान की हद हरिनाम है यह सिद्धांत सब जान।

सच्चे ह्रदय से प्रार्थना जब कोई सच्चा गाता है।
भक्तवत्सल के कान में वह पहुंच झट ही जाता है।

मानिक मोती और हीरे जितने रतन जग माहीं।
सब वस्तु का मोल जगत में मोल बुद्धि को नहीं।

सुख सपना दुख बुलबुला दोनों है मेहमान।
दोनों बितन दीजिए जो भेजे भगवान।

चिन्ता ऐसी डाकिनी काटी कलेजा खाए।
वैद बेचारा क्या करे कहां तक दवा पिलाय।

https://www.jivankisachai.com/











कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

please do not enter any spam link in the coment box.