jivan ki sachai. life is learnable. keep learning every moment. Be succeessful,success will come by itself. health is wealth, helthy life. fact of life

add-1

Breaking

मंगलवार, 21 जुलाई 2020

दुख का निवारण। Dukh Ka nivaran

दुख का निवारण 


सुख सपना दुख बुलबुला दोनो है मेहमान।
दोनो बितन दिजिए जो भेजे भगवान

जीवन मे अगर खुश रहना है तो शांत सरोवर की तरह बन जाए‌, जिसमे कोई अंगारा भी फेके तो खुद व खुद ठंढा हो जाए।

दुख के समय संयम से काम लें। संयम हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
दुखों के संकट क्षणों मे ईश्वर पर भरोसा और प्रायश्चित्त के सिवा बच निकलने का कोई मार्ग नही होता।
दुख का निवारण,साहस और संयम जरूरी है
दुख का निवारण 

जीवन मे सुख और दुख 


जीवन मे सुख और दुख दोनो का आना सार्वभौमिक सच है। शायद ही कोई इंसान हो जिसे इस संसार मे दुखों का सामना न करना पड़ा हो। व्यक्ति के जीवन मे दुखों के तरह-तरह के कारण हो सकते है। कुछ दुख प्रकृतिजन्य होते है तो कुछ जंजाल मे फैलने के लिए स्वयं व्यक्ति उत्तरदायी होते है। अनावृष्टि,भूकंप त्रासदी अकाल तो प्राकृतिक दुख होते है लेकिन वैचारिक विरोध, अति महत्वाकांक्षा, कलह, कलेश, लालच, व्यसन और विलासिता से उपजे दुखों के लिए जिम्मेदार हम ही होते है। जब स्वयं से उपजे उत्पन्न दुखों  का सामना हमे करना पड़ जाता है तो हम व्यथित हो उठते है। ऐसे कष्टकारी समय मे हमे अपनी गलतियों का प्रायश्चित ईश्वर का स्मरण करते हुए करना चाहिए।

आत्मविश्वास और ईश्वर पर भरोसा रखें


जब दुखमय जीवन व्यतीत करना होता है तब सारे
 समीकरण बिगड़ जाते है। मनुष्य घर- परिवार, इष्ट- मित्रों से बिल्कुल अलग पड़ जाता है। जब प्रेम करने वाले नफरत करने लगते है, पारिवारिक संबंध बिखर जाते है, तब श्रेष्ठ कार्यों मे आशातीत परिणाम नही मिलते। इसे इस तरह भी समझ सकते है कि इस समय ईश्वर आपकी परिक्षा ले रहा होता है। ईश्वर का स्मरण करें, क्योंकि यह जीवन का वह समय होता है जब धैर्य और प्रभु की शरण के अतिरिक्त कोई दुसरा रास्ता नही होता, इसे परिक्षा की घड़ी मानकर संघर्षरत रहना चाहिए। ऐसे समय मे हम प्रभु पर आस्था रखकर जीवन के शेष समय मे सुखों की प्रतिक्षा विश्वास के साथ कर सकते है।

दुखों के समय संयम से काम लें


दुखों के समय संयम से काम लेना चाहिए। संयम हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाता है। दुख जीवन की कसौटी है। जिस तरह सोना आग मे तप कर अपनी शुद्धता प्रदर्शित करता है ठीक उसी तरह दुख के क्षणों मे हमे अपने धैर्य और संयम की परीक्षा देनी होगी, दुख के क्षणों मे हमे निराश होकर केवल कष्ट की अनुभूति नही करनी चाहिए। अतः अनुभवों को अंगीकार करना चाहिए। अपने कार्य, व्यवहार और जीवन की सार्थकता का विश्लेषण करना चाहिए। 

उम्मीद तैरती रहती है, कश्तियां डुब जाती है।
कुछ घर सलामत रहते है, आंधियां जब भी आती है।
बचा ले जो घर तुफां से, उसे आशा कहते है।
बड़ा मजबुत है ये धागा जिसे विश्वास कहते है।






कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

please do not enter any spam link in the coment box.

add-4