स्वस्थ व अस्वस्थ की पहचान
यदि सीढियां चढ़ते समय आपको होठ सुखने लगे या मुँह सुखने लगे या ह्रदय की गती तेज लगने लगे या सांस फुलने लगे या आपको रुकना पर जाय सीढ़ियों पर, तभी आपको सोचने की जरुरत है कि आपको कोई समस्या है, तो क्या है? ये तजुर्वा है कि यदि आपको सीढ़ियाँ चढ़ते हुए आपको कोई तकलीफ नही है तो आपका वजन आपके लिए फिट है यानी आप ओवर वेट नही है। इसिलिए जब तक सीढ़ी चढ़ने मे तकलीफ नही हो वजन कम करने की कोशिश मत करो।स्वस्थ जीवन |
यदि आपको सीढ़ियाँ चढ़ते हुए कोई तकलीफ नही है तो समझ ले आपका कोलेस्ट्रॉल ठीक है, आपको कोई ब्लॉकेज नही है यदि आपको एक फ्लोर तक सीढ़ी चढ़ना-उतरना नॉर्मल है तो आप नार्मल है। वजन कितना भी रहने दो, बी.पी. कितना भी रहने दो।
शरीर के अनुपात मे वजन की पहचान
दुनिया मे वजन कम करने ले बहुत बड़ी इन्डस्ट्री चल रही है इस समय और अनेको नाम से चल रही है। पहले युरोप और अमेरिका मे थी अब भारत मे भी आ गयी है। यदि आपका वजन ज्यादा है और सीढ़ी चढ़ने मे आपको तकलीफ हो रही है तो आप वजन उतना ही कम करो जितना कि आपको सीढ़ियाँ चढ़ने मे तकलीफ नही हो। यानि जब आपको सीढ़ियाँ चढ़ने मे तकलीफ बन्द हो जाय तो वजन कम करना छोड़ दो। क्योंकि कम वजन वाले को भी अपनी कुछ समस्याएं है जो आपको शुरु हो सकती है। आप जान ले कि शरीर को फैट भी चाहिए। कोई माँ यदि पतली दुबली है तो बच्चे और माँ दोनो के लिए खतरा है।शरीर के वजन की पहचान |
मोटी माँ हो तो आराम से बच्चा उनके गर्भ से बाहर आ जाता है। इसिलिए बहुत पतला होने की कोशिश मत किजिए। और जो कैमरे या पर्दे पर दिखने वाली लड़कियां है उनके चक्कर मे मत पड़िये। उनको इसके लिए पैसा मिलता है। इनको देखकर जिंदगी डिजाइन मत कीजिए । इन लोगों को तभी तक पैसा मिलता है जब तक वो पतले -दुबले है। जिस दिन ये लोग ओवर वेट हुए उस दिन ही इन्डस्ट्री निकाल कर इनको बाहर कर देती है। ये फैसन इन्डस्ट्री और फिल्म इन्डस्ट्री मे ही होता है। ये सब फालतु कि उपमायें है कि कमर इतनी होनी चाहिए, सीना इतना होना चाहिए,गर्दन इतनी होनी चाहिए।
ये उपमायें न तो वाग्भटट ने दी है न ही चरक ने दी है और न ही सुश्रुत ने दी है। कहने का मतलब ये उपमायें आयुर्वेद मे आपको कहीं नही मिलेगी।
इसिलिए बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सीढ़ी वाले मापदण्ड का प्रयोग कर सकते है। स्वस्थ्य की स्थिति जानने के लिए।
स्वस्थ व अस्वस्थ की पहचान
मोटापा क्या है।
महिलाओं मे पुरुषों की अपेक्षा मोटापा अधिक होता है और गाँव मे शहरों की अपेक्षा कम होता है। जब काफी समय तक वजन की खपत उर्जा के मुकाबले बहुत बढ़ जाती है, तब भोजन की अधिक उर्जा वसा के रुप मे त्वचा के पिछे शरीर के विभिन्न अंगों मे जमा हो जाती है तो शरीर फुल जाता है व वजन बढ़ जाता है। इसी को मोटापा कहते है।कारण
बैठे- बैठे कम्प्यूटर मोबाइल आदि का काम करने से।अव्यवस्थित खान-पान या खाने पीने के नियमों का पालन न करने से।
फास्ट-फुड खाने से।
चीनी और वसा का प्रयोग ज्यादा करने से।
मैगी ,चाऊमीन,चाकलेट, आइसक्रीम या कोल ड्रिंक्स आदि का सेवन करने से।
थाइरॉइड की बिमारी के कारण।
उपचार
मोटापे का कारण पता लगने पर उचित चिकित्सा करें। खान-पान के नियमों का पालन ईमानदारी से करें।
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