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गुरुवार, 19 दिसंबर 2019

बच्चों की शिक्षा कैसी हो। how are children's education.

बच्चों की शिक्षा कैसी हो।

पढ़ने की हद समझ है, समझ की हद है ज्ञान।
ज्ञान हद हरि नाम है, यह सिद्धांत सब जान।


सही ज्ञान वही है जो करें मानवता का निर्माण |
बचों की शिक्षा कैसी हो मानवता का ज्ञान जरूरी
बचों की शिक्षा 

बच्चों का दाखिला ऐसे स्कुल मे न करायें जिसमे होम वर्क बच्चों को ज्यादा मिलता है। बच्चे स्कूल के होम वर्क, टयुशन के होम वर्क, घर के होम वर्क से आगे कुछ सोच नही पाते हैं जिससे उनका मानसिक विकास रुक जाता है। बच्चों को जो होम वर्क मिलता है जीवन वह कभी काम नही आता है। ऐसे स्कूलों मे दाखिले से अच्छा नगर परिषद के स्कूल मे पढ़ाये । हमारे देश के भुतपुर्व राष्ट्रपति ऐ.पी.जे अब्दुल कलाम जिला परिषद के स्कुल मे पढ़े थे। जब गाँव मे थे तो ग्राम पंचायत के स्कुल मे पढ़े । अब्दुल कलाम कभी कान्वेन्ट  स्कुल मे नही पढ़े और भारत के सबसे बड़े वैज्ञानिक मे उनका नाम है। वैज्ञानिक दिमाग से बनता है। आपका दिमाग कितना फ्री है कि चिन्तन कर सकता है, उसी से वह वैज्ञानिक बनता है। ज्यादा पढ़ाई करके, बहुत होम वर्क करके दुनियां मे कोई भी वैज्ञानिक नही हुआ। आइन्स्टाईन,न्युटन,एडिसन का नाम सुना है आपने, ये सब स्कुल से भागे हुए थे या स्कुल से निकाल दिए गये थे। आइन्स्टाइन ने कक्षा 9 मे स्कुल छोड़ दिया, न्यटन ने कक्षा 8 मे स्कुल छोड़ दिया, एडिसन को स्कुल 3 मे निकाल दिया था। मैक्सवेल बहुत बड़ा वैज्ञानिक थे कक्षा 7 से ही स्कुल छोड़कर भाग गया था। जिन बच्चों का स्वतंत्र चिन्तन होता है वही वैज्ञानिक बन सकते है।

बच्चों मे नम्बर लाने के लिए कभी भी दुसरे बच्चों से तुलना मत किजिए कि किसी बच्चे का 90 प्रतिशत नम्बर आता है और तुम्हारा 70 प्रतिशत नम्बर आता है। बच्चों की तुलना इसिलिए मत कीजिए । हर बच्चा अपने आप मे युनिक होता है, विशेष होता है। 90% नम्बर पाने वाले बच्चे को बहुत सी ऐसी बातें है जिसकी जानकारी नही हो सकती है। लेकिन 70% नम्बर पाने वाले को ऐसी बातों की जानकारी हो सकती है।

हर बच्चा अपने आप मे युनिक होता है,

हिन्दुस्तान मे जिन लोगों को ज्ञान हो जाता है उनकी डीग्री कोई नही पुछता है। जैसे- संत ज्ञानेश्वर की डीग्री किसी ने नही पुछी, समर्थ गुरु रामदास की डिग्री कभी नही देखी, छत्रपति शिवाजी महाराज कि डिग्री नही देखी, शम्भा जी महाराज की डिग्री पुछी आपने, इन सभी महान लोगों की कोई डिग्री नही थी। लेकिन ये सब महाज्ञानी और महान व्यक्तित्व के धनी थे। आज हम सब इन्हें पुजते है सम्मान देते है।

दुनियां मे किसी की भी पुजा हुई है। समाज ने किसी को भी महान बनाया है तो बिना डिग्री के हुई है। इन्दिरा गांधी 8 वीं कक्षा मे फैल थी। इन्दिरा गांधी, रविन्द्र नाथ टैगोर के गुरुकुल मे पढ़ती थी और 8 वीं मे दो बार फैल हुई और वह भारत की 17 वर्ष तक प्रधानमंत्री रही। इन्दिरा गांधी की डिग्री को कोई नही पुछता है। उसने जो किया उसको पुछते है। ज्ञान हमेशा डिग्री से बड़ा होता है। ऐसा पुरी दुनियां मे होता है।

धीरुभाई अम्बानी की डिग्री ,9 वीं फैल थे  उनके पिता ने स्कुल से निकाल दिया और उससे पुछा तु क्या करेगा तो धीरुभाई ने कहा मै पैसा कमाउंगा तो धीरुभाई के पिता जी ने अपने दोस्त के पेट्रोल पम्प पर उनको नौकरी पर रखवा दिया, गुजरात मे जूनागढ़ नाम के शहर में । धीरुभाई का आज लाखों करोड़ रुपये का एम्पायर है।
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पढ़ने की हद समझ हो 

दुनियां मे डिग्री लेकर कोई बहुत बड़ा महान हुआ है ऐसे दो-चार ही मिलेंगे। बिना डिग्री के बहुत उँचाई पर गये ऐसे सैकड़ों लोग है।
मंडन मिश्र की पत्नी थी, उन्होने शंकराचार्य को चुनौती दी और कहा आपका ज्ञान हमसे कम है तो शंकराचार्य ने कहा कैसे कम है तो उनहोंने कहा कि आप अभी तक गृहस्थ आश्रम मे प्रवेश नही कियें है। मैने किया है। तो मेरे पास आपसे ज्यादा ज्ञान है।

आकाश, पृथ्वी, और वायु ये तीनो के स्पर्श मे रहकर जो पढ़ेगा वही सही ज्ञान ले पायेगा। कोशिश किजिए कि बच्चों को थोड़ा- थोड़ा सभी विषयों का ज्ञान हो। चिकित्सा का भी ज्ञान हो, धर्म का भी ज्ञान हो, अध्यात्म का भी ज्ञान हो, भारत का भी ज्ञान हो, विदेश का भी ज्ञान हो, थोड़ा- थोड़ा सभी विषयों का ज्ञान हॊ। क्योंकि कि जिन्दगी सभी विषयों के ज्ञान से मिलकर चलती है। बच्चे को समान्य ज्ञान हो, नैतिक ज्ञान हो और सभी विषयों का ज्ञान हो तो सबसे ज्यादा उपयोगी होगा।

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