भगवान शंकर से सिखे सबको साथ लेकर चलने की काला
- भगवान शंकर से बहुत कुछ सिखने को है।उनके चरित्र और व्यक्तित्व से हम सब बहुत कुछ सिख सकते हैं।ऎसी ऎसी बाते हैं उनमे जो और किसी देवों मे नही है।और वो है सबको साथ लेकर चलने की कला।
- भगवान शंकर के जटाओं मे माँ गंगा का निवास है यानी जल है। भगवान शंकर के त्रीनेत्र मे ज्वाला है यानी आग।जल और ज्वाला साथ साथ। भगवान शंकर के जटाओं मे चन्द्रमा यानी अमृत।और गले मे है विष।अमृत और विष साथ साथ।और भगवान शंकर के गले मे है सर्प।भगवान शंकर के पुत्र गणेश जी का वाहन मूषक यानी चुहा और कार्तिकेय के वाहन है मयुर यानी मोर।सर्प चुहा और मोर साथ साथ। और भगवान शंकर के वाहन है नन्दी यानी बैल और माँ गौरी के वाहन है शेर।बैल और शेर साथ साथ। अदभुत है ये चिजे एक दुसरे के दुश्मन है फिर भी है साथ साथ। एक दुसरे को काटने वाला एक दुसरे को खाने वाला है।लेकिन ये भगवान शंकर का परिवार है।सब है साथ साथ। और हम इन्सान समान जाति के होकर भी साथ साथ नही रहते क्यों? हम सबको भगवान शंकर से बहुत कुछ सिखने कि जरुरत है।
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