आदर्श परिवार कैसा हो ?
सुख और प्रहगती का आधार है आदर्श परिवारहम अपने परिवार मे ऐसा क्या करे कि हमारे बच्चे आदर्श हो। आदर्श बच्चे हमारे परिवार से निकलें, समाज के लिए, देश के लिए, राष्ट्र के लिए, धर्म के लिए ऐसे कुछ काम करें जिनको हम आदर्श मानते है। हमारा परिवार अगर आदर्श है तो हमारे परिवार के बच्चे भी आदर्श होंगे।
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आदर्श परिवार |
हमारे भारत मे शास्त्रों के आधार पर जो परिभाषा है। शास्त्रों को लिखने वाले महान लोग क्या कहतें है, आदर्श परिवार के बारें मे। हमारे सभी शास्त्रों मे चारो वेदों मे 18 उपनिषदों मे एवं इसके अतिरिक्त लिखे गये अलग-अलग ग्रन्थों मे लगभग एक जैसी परिभाषा है। आदर्श परिवार माने जो परिवार दैहिक, दैविक और भौतिक दु:खों से दुर है और दुसरे परिवारों को दैहिक,दैविक और भौतिक दु:खों से दुर करने के काम मे लगा हुआ है, वही परिवार आदर्श परिवार है।
ऋग्वेद मे सबसे पहले यह परिभाषा आयी। ऋग्वेद के बाद उपनिषदों मे आयी, वेदों के बाद वेदांतों मे आयी। इसके बाद आगे भी यह परिभाषा अन्य शास्त्रों मे भी आयी।
दैहिक दु:ख न हो, इसका मतलब परिवार मे कोई सदस्य किसी भी बीमारी से पीड़ित न हो। दैहिक दु:ख माने देह का दु:ख। हमारे शरीर को कोई दु:ख न हो। परिवार मे यदि पाँच सदस्य हो तो सभी निरोग हो।
दैविक दु:ख मतलब देव का दिया हुआ दु:ख, भगवान का दिया हुआ दु:ख। जैसे- भूकम्प आ गया, घर मे आग लग गयी, घर अपने आप ही गिर गया आदि।
भौतिक दु:ख मतलब गरीबी, बेरोजगारी, खाना खाने के लिए पैसे नही है, काम करने के लिए पैसे नही है तो वह भौतिक दु:ख है।
तो जिस परिवार मे यह तिनो तरह के दु:ख नही है वह 50% आदर्श परिवार है, और दुसरे परिवार को यह तीनों तरह के दु:ख नही हो उसके लिए प्रयास कर रहे है तो वह परिवार 100% आदर्श परिवार है।
सबसे पहले हम अपने परिवार को इन तिनो तरह के दु:खों से मुक्त करायें। इसके बाद दुसरे परिवारों को जो इन तिनो तरह के दु:खों से दु:खी हो उनके दु:खों को दुर करने का प्रयास करें।
आदर्श परिवार की निशानी
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सबका साथ सबका विकास |
सारा जहां उसी का है जो मुस्कुराना जानता है। रोशनी उसी की है जो शमा जलाना जानता है।
हर जगह मंदीर,मस्जिद, गुरुद्वारे है, लेकिन इश्वर तो उसी का है जो सर झुकाना जानता है।
किसी को दु:खी देखकर कभी खुशियों की उम्मीद मत करना। खुशियाँ उनको मिलती है, जो दुसरों को खुश देखकर खुश होता है।
इन्सान इस एक कारण से अकेला हो जाता है। जब अपनो को छोड़ने की सलाह गैरों से लेता है।
इंसान की कपड़े साफ हो या न हो, नियत साफ होनी चाहिए।
जिन्दगी मे सबसे जरुरी और हमेशा चलते रहने वाला प्रश्न है कि, आप दुसरों के लिए क्या कर रहे हैं।
सृष्टि का नियम है जो आप बांटोगे वही आपके पास वेहिसाब होगा। फिर वह चाहे धन हो, अन्न हो, सम्मान हो, या अपमान हो, नफरत हो या मोहब्बत हो।
प्रम वो चीज है जो इन्सान को कभी मुरझाने नही देती। और नफरत वह चीज है जो इन्सान को कभी खिलने नही देती।
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